धान की खेती कैसे करें ?How to cultivate paddy?
धान की खेती करने का कार्य बहुत पुराने समय से चला आ रहा है | और चावल को पूरी दुनिया भर में पसंद किया जाता है | चावल का आप हर मौसम में खा सकते हैं |
धान की खेती क्या है ?
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धान की खेती करने का कार्य बहुत पुराने समय से चला आ रहा है | और चावल को पूरी दुनिया भर में पसंद किया जाता है | चावल का आप हर मौसम में खा सकते हैं | और ये किसी प्रकार के नुकसानदायक नहीं होता है | मुख्य तौर पर चावल को चंडीगढ़ में उगाया जाता है | क्योंकि चावल की खेती करने के लिए आपको समशीतोष्ण जलवायु की जरूरत पड़ती है | यह जलवायु चंडीगढ़ और पश्चिम बंगाल में बहुत सही पाई जाती है | कई सारे राज्य पूरे साल भर धान की खेती करते है | क्योंकि उनके यहाँ धान की खेती करने का मौसम पूरे साल भर सामान रहता है | धान की खेती करने के लिए अधिक पानी और अधिक धूप की जरूरत पड़ती है | धान की खेती करने वाले किसानों अधिक लाभ प्राप्त होता है |
धान की खेती करने के तरीका –
धान की खेती करने वाले किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए | जो धान की खेती करते समय उनकी सहायता करती है | ध्यान देने वाली बातें निम्नलिखित है-
खेत का निर्माण –
धान की खेती करने वाले किसानों को सबसे पहले अपने उस खेत को तैयार करना होता है | जिसमें आप धान की खेती करना चाहते हैं | धान की खेती करने से पहले आपको उस खेत की जुताई कर देनी चाहिए| खेत की जुताई करने से उस खेत की मिट्टी भुरभुरी और मुलायम हो जाती है | और वह आपकी फसल की विकास में काफी सहयोग करती है | खेत की जुताई करने से खेत में पानी सोखने की क्षमता बढ़ जाती है | धान की खेती करने वाले खेत में लगभग तीन बार जुताई करनी चाहिए | पहली और दूसरी जुताई आपको कल्टीवेटर से करना चाहिए | और अंतिम जुताई आपको रोटावेटर से करनी चाहिए | तीन बार जुताई करने के बाद हमारा खेत धान की खेती करने के लिए तैयार हो जाता है |
खरपतवार का निवारण –
धान की खेती करते समय आपको अपने खेत की सिंचाई करने से पहले हमको खेतों को खरपतवार मुक्त करना होता है | और खरपतवार को निकालने से आपको वह खेत अच्छी पैदावार प्रदान करता है | खरपतवार को निकालने के लिए आप मशीन का भी प्रयोग कर सकते हैं | अगर आपके पास मजदूर है | तो आप उनकी भी सहायता ले सकते हैं | अगर आप मशीन का प्रयोग करते हैं | तो खरपतवार निकालने का खर्चा आपको कम लगता है | आपको अपने खेत में से पुरानी फसलों के टुकड़ों को निकालना है | जैसे गेहूं की जड़ें, चेरी की जड़ें, बजडे की जड़ें, और कई प्रकार की घासो को निकालना होता है | अगर आप चाहे तो रासायनिक दवाओं का छिड़काव कर के भी आप अपने खेत को खरपतवार से मुक्त कर सकते हैं |
खेत की सुरक्षा व घेराव –
अगर आप कोई भी फसल की खेती करते हैं | तो आपको सबसे पहले अपने खेत की सुरक्षा करनी पड़ती है | ताकि आपकी फसल सुरक्षित रहे | और वह अपना विकास अच्छे से कर सके | फसल की सुरक्षा करने के लिए आपको सबसे पहले अपने खेत के चारों तरफ से बांस या लोहे के राडो से घेराव कर देना चाहिए | अगर आपके पास पैसे नहीं हैं तो आप खेतों का घेराव बांस की मदद से कर सकते हैं | खेतों का घेराव करना इसलिए जरूरी है | ताकि हमारी फसल जंगली जानवरों से बची रहे |
सिंचाई की आवश्यकता –
धान की खेती करने वाले किसानों का मानना है| कि आपको धान की खेती करने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है | अगर आप अपने धान की खेती को दोमट मिट्टी तथा चिकनी मिट्टी में करते हैं | तो आपको अधिक सिंचाई करने की जरूरत पड़ती है | और अगर आप धान की खेती अन्य मिट्टी में करते हैं | तो आपको कम सिंचाई करने की आवश्यकता होती है | अगर आपके पास नहर का पानी है तो आपको सिंचाई करने में आसानी होगी | और सिंचाई का खर्चा भी कम लगता है | धान की खेती करने वाले किसानों का मानना है | कि धान की फसल को लगभग 4 बार सिंचाई की जरूरत होती है |
धान की नर्सरी तैयार करना –
अगर आप धान की खेती करना चाहते हैं | तो आपको सबसे पहले धान की नर्सरी तैयार करने की आवश्यकता पड़ती है | धान की नर्सरी आप 20 मई से 20 जून तक तैयार कर सकते हैं | आपको धान की खेती करने से पहले नर्सरी विधि को अपनाना चाहिए | इस विधि से आपको धान के बीजों की बचत होती है | नर्सरी का निर्माण करने के लिए आपको सबसे पहले आपने बीजो के अनुसार खेत को तैयार कर लेना है | खेत को कई बार कुदाल से गुड़ाई कर देनी चाहिए | इसके बाद आपको खेत में बीजो को बोने से पहले लाए गए बीजों को पानी में भिगोकर रखना पड़ता है | आप को एक जूट के बोरे को लेकर उसमें धान के बीजों को रखना होता है | और लगभग तीन दिनों तक उस जूट के बोरे पर पानी का छिड़काव करते रहना पड़ता है | जब धान के बीज अंकुरित हो जाए | तो आपको उन बीजों को ले जाकर अपनी नर्सरी में बो देना चाहिए | नर्सरी में बीजों को बोने से पहले उसमें पानी भरना होता है | एक एकड़ में आपको 40 से 45 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है |
धान की रोपाई –
धान की नर्सरी तैयार होने के बाद आपको उन धानों को अपने खेतों में रोपाई करना होता है | और वह आपको तभी करना होता है | जब नर्सरी के पौधे पूर्ण रूप से तैयार हो जाए | नर्सरी के पौधों को निकाल कर आपको अपने खेत में लगाना होता है | नर्सरी से पौधों को निकालने का सही तरीका है ,कि जब नर्सरी के पौधे तैयार हो जाए | तब आपको पौधे निकालने से लगभग 2 दिन पहले उस नर्सरी में पानी कर देना चाहिए | ताकि नर्सरी की जमीन में नमी आ जाए | और पौधे आसानी से उखड़ सके | अगर आपकी नर्सरी की जमीन कठोर रहेंगी तो पौधे टूट सकते हैं | आपको पौधों को उखाड़ते समय बहुत हल्के हाथों का प्रयोग करना चाहिए | धान की रोपाई करने से पहले आपको अपने खेत में पानी भरने की जरूरत होती है | और पानी भरने के बाद रोटावेटर से जुताई करनी चाहिए | इसके बाद आप अपने खेत में धान की रोपाई कर सकते हैं |
धान की रोपाई की विधि –
अगर आप धान की खेती करना चाहते हैं तो आपको धान की रोपाई की विधियों के बारे में पता होना चाहिए| की धान की रोपाई कितने प्रकार से की जाती है | धान की रोपाई नर्सरी विधि से भी की जाती है | और धान की रोपाई छिड़काव विधि से भी की जाती है | अगर आप चाहे तो धान की रोपाई दोनों विधियों से कर सकते हैं | लेकिन छिड़काव विधि से आपको धान के बीजों की अधिक जरूरत पड़ती है | और नर्सरी विधि से आपको बीजों की बचत होती है |
धान की खेती में कौन-कौन सा रोग लगता है ?
धान की खेती करना बहुत आसान होता है | और यह हर किसान कर सकते हैं | अगर आप धान की खेती करना चाहते हैं | तो आपको पता होना चाहिए कि धान की खेती करने वाले किसानों को धान में कौन-कौन सी बीमारियों का सामना करना पड़ता है | धान की खेती करते समय कई प्रकार की बीमारियां दिखाई देती है | धान की बीमारियों में मुख्य भूरा माहू, तना छेदक,पत्ती छेदक, हल्दी रोग , जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं | और आपको समय-समय पर इल्ली का प्रकोप भी देखने को मिलता है | अगर आप की फसल में इनमें से कोई भी रोग हो जाता है | तो आपको बाजार से जाकर कीटनाशक दवाओं को ले आना है | और विधि अनुसार अपनी फसल पर छिड़काव कर देना है |
धान की कटाई –
जब धान की फसल को पूर्णरूप से तैयार हो जाए तो | आपको उसकी कटाई करनी चाहिए | धान की फसल 120 से 140 दिनों में तैयार हो जाती है | और उन दिनों में आपको धान की अच्छे तरीके से देखभाल करने की जरूरत होती है | धान की फसल को काटने के बाद आपको उसके पौधों को पिटाई करने की जरूरत होती है | धान को पीटने के लिए आप मशीन की भी मदद ले सकते हैं | और अगर आप चाहे तो किसी कठोर चीज़ पर धान के पौधों को पीट सकते हैं | धान के पौधों को पीटने से पौधों में लगे धान पौधों से अलग हो जाते हैं |
एक एकड़ धान की खेती करने में कितना लाभ होता है ?
1 एकड़ धान की खेती करने में कितना खर्चा आता है ?
अगर आप धान की खेती करते हैं | तो आपको सबसे पहले खेत की जुताई करनी पड़ती है | और खेत में से आपको खरपतवार को निकालना पड़ता है | खेत में सिंचाई करने की जरूरत पड़ती है | सिंचाई करने की जरूरत आपको नर्सरी से लेकर धान की फसल तैयार होने तक पड़ती है | अगर आप की फसल में कोई रोग होता है तो आपको उन रोंगों के लिए दवाओं को लाकर फसलों पर छिड़काव करना होता है | धान की रोपाई करने के लिए आपको मजदूरो की जरूरत पड़ती है | धान की तैयारी करने के लिए आपको कई प्रकार की दवाओं पर छिड़काव करना होता है | धान तैयार होने के बाद आपको मंडी ले जाने का खर्च लगता है | अगर आप एक एकड़ में धान की खेती पूर्ण रूप से करना चाहते हैं | तो आपको लगभग 28,000 से 30,000 रुपयों की जरूरत पड़ती है |
* FAQ *
(a) धान की खेती करने के लिए कौन सी जलवायु सबसे उचित मानी जाती है ?
धान की खेती करने के लिए समशीतोष्ण जलवायु की जरूरत पड़ती है ?
(b) एक एकड़ खेत में कितने धान की उपज होती है ?
धान के उपज धान की किस्म के ऊपर निर्भर करती है | अगर आप धान की अच्छे से देखभाल करते हैं | तो आपको एकड़ में लगभग 25 क्विंटल धान प्राप्त होता है |
(c) धान की फसल में कौन कौन सा रोग आता है ?
धान की खेती करने वाले किसानों को समय-समय पर झुलसा रोग , पत्ती छेदक, पीला रोग, इल्ली का प्रकोप , देखने को मिलता है |
(d) सबसे ज्यादा धान की खेती कहाँ पर की जाती है ?
धान की खेती करने के लिए समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है | वह जलवायु पश्चिम बंगाल और चंडीगढ़ में लगभग पूरे साल भर समान रूप से रहती है | तभी आप वहाँ पर पूरे साल भर धान की खेती कर सकते हैं |
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